टीआरएस कॉलेज रीवा: राजनीति में सक्रिय छात्र भी क्यों नहीं बना पा रहे अपनी पहचान?
टीआरएस कॉलेज, रीवा, जहां कभी शिक्षा और बौद्धिक विकास का केंद्र हुआ करता था, आज छात्र राजनीति और गुटबाजी का अखाड़ा बन चुका है। इस कॉलेज में पढ़ाई से ज्यादा छात्र संगठनों की आपसी खींचतान, झगड़े और गुटबाजी देखने को मिलती है। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि जो छात्र यहां से राजनीति में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, वे भी किसी बड़े स्तर पर पहचान नहीं बना पा रहे हैं।छात्र राजनीति का हाल: केवल दिखावटी सक्रियता
टीआरएस कॉलेज में कई छात्र राजनीतिक संगठनों से जुड़े हुए हैं और उन्हें क्षेत्रीय स्तर पर सक्रिय माना जाता है। लेकिन जब बात किसी बड़े राजनीतिक मुकाम तक पहुंचने की आती है, तो ये छात्र सिर्फ युवा नेताओं तक ही सीमित रह जाते हैं।
- छात्रों के बीच नेतृत्व क्षमता की कमी देखने को मिलती है।
- छोटे-मोटे मुद्दों पर प्रदर्शन और विरोध-प्रदर्शन तो होते हैं, लेकिन इसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकलता।
- कॉलेज में राजनीति सिर्फ आपसी गुटबाजी और व्यक्तिगत फायदे तक सीमित रह गई है।
बड़े नेताओं की चापलूसी में व्यस्त छात्र
छात्र राजनीति में सक्रिय होने का मतलब यह नहीं कि व्यक्ति वास्तव में जनता का नेता बन जाए। टीआरएस कॉलेज के अधिकांश छात्र नेता बड़े नेताओं की परछाई बने रहते हैं और उनका असली लक्ष्य स्वतंत्र रूप से नेतृत्व करने के बजाय चापलूसी करना बन चुका है।
- स्वतंत्र राजनीतिक विचारधारा विकसित करने के बजाय बड़े नेताओं की हां में हां मिलाई जाती है।
- छात्र नेता सिर्फ अपने राजनीतिक आकाओं के इशारों पर काम करते हैं, जिससे वे अपनी अलग पहचान नहीं बना पाते।
- चुनावी टिकट और राजनीतिक पद पाने की होड़ में खुद की विचारधारा तक नहीं बचा पाते।
छात्र राजनीति का भविष्य: आगे क्या?
अगर टीआरएस कॉलेज के छात्र राजनीति में वास्तविक सफलता पाना चाहते हैं, तो उन्हें खुद को एक स्वतंत्र नेता के रूप में स्थापित करना होगा।
- स्वतंत्र सोच और विचारधारा विकसित करनी होगी।
- मुद्दों को गहराई से समझकर सही रणनीति अपनानी होगी।
- बड़े नेताओं की परछाई बनने के बजाय खुद की राजनीतिक पकड़ मजबूत करनी होगी।
निष्कर्ष: क्या टीआरएस कॉलेज से कोई बड़ा नेता उभरेगा?
इस कॉलेज में राजनीतिक माहौल तो है, लेकिन सही दिशा में नहीं। जब तक छात्र सिर्फ चापलूसी की राजनीति छोड़कर वास्तविक जनहित के मुद्दों पर काम नहीं करेंगे, तब तक वे केवल छोटे स्तर के नेता ही बने रहेंगे। अगर वे स्वतंत्र रूप से सोचने और कार्य करने का साहस दिखाएं, तो टीआरएस कॉलेज से भी भविष्य के बड़े नेता उभर सकते हैं।