पौष मास की छठ: रीवा के रानी तालाब में कान छेदन और मुंडन संस्कार का महत्व
आज 5 जनवरी 2025 है, और यह पौष मास की छठ का पावन दिन है। रीवा में इस अवसर पर हिंदू धर्म के दो प्रमुख संस्कार, कान छेदन और मुंडन संस्कार, बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ किए जाते हैं। यह दृश्य रीवा के प्रसिद्ध रानी तालाब मंदिर का है, जो एक सुंदर तालाब और ऐतिहासिक धरोहरों से घिरा हुआ है। रानी तालाब के पास रीवा का किला और लक्ष्मण बाग मंदिर भी स्थित हैं, जो इस स्थान को और भी विशेष बनाते हैं।हिंदू धर्म में इन दोनों संस्कारों को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इनका संबंध व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास से जुड़ा होता है। आइए, इन संस्कारों के धार्मिक, आयुर्वेदिक, और सांस्कृतिक महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
कान छेदन संस्कार (कर्ण वेध)
धार्मिक महत्व
कान छेदन हिंदू धर्म के 16 प्रमुख संस्कारों में से एक है। इसे शुभ माना जाता है और यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि यह संस्कार शरीर के ऊर्जा केंद्रों (मेरिडियन पॉइंट्स) को सक्रिय करता है, जिससे व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक महत्व
आयुर्वेद के अनुसार, कान छेदन से शरीर की नाड़ियों में सुधार होता है और मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है। यह शारीरिक विकास और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में सहायक है।
- लड़कियों के लिए यह स्वास्थ्य लाभ और सौंदर्य का प्रतीक है।
- लड़कों में इसे परंपरा और अनुशासन से जोड़ा जाता है।
सांस्कृतिक पहलू
कान छेदन बच्चों में धैर्य और सहनशीलता का विकास करता है। इसे आमतौर पर पौष मास जैसे शुभ समय में किया जाता है।
मुंडन संस्कार (चूड़ाकरण)
धार्मिक महत्व
मुंडन संस्कार, जिसे चूड़ाकरण संस्कार भी कहा जाता है, शिशु के पहले या तीसरे वर्ष में किया जाता है। यह भी 16 प्रमुख संस्कारों में शामिल है। यह संस्कार बच्चे के पुराने कर्मों और बुरे प्रभावों को दूर करने का प्रतीक है। मुंडन के बाद बच्चे का सिर भगवान को समर्पित माना जाता है, जो शुद्धिकरण का प्रतीक है। यह संस्कार आमतौर पर मंदिरों या किसी पवित्र स्थान पर किया जाता है।
आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक महत्व
मुंडन से शिशु के सिर पर जमी गंदगी और बालों को हटाने से खोपड़ी का विकास बेहतर होता है। इससे बालों की गुणवत्ता में सुधार होता है और सिर को ठंडक मिलती है।
सांस्कृतिक पहलू
मुंडन संस्कार परिवार और समाज के साथ बच्चे का जुड़ाव मजबूत करता है। इसे शुभ अवसर के रूप में मनाया जाता है, जिसमें परिवार और रिश्तेदार शामिल होते हैं।
संक्षेप में
कान छेदन और मुंडन संस्कार केवल धार्मिक परंपराएं नहीं हैं, बल्कि इनके पीछे वैज्ञानिक और सांस्कृतिक उद्देश्य भी हैं। हिंदू धर्म में इनका उद्देश्य बच्चे को जीवन के शुरुआती चरण में शुभता, स्वास्थ्य, और अनुशासन की ओर प्रेरित करना है।
इस दिन रानी तालाब जैसे पवित्र स्थान पर इन संस्कारों को संपन्न होते देखना एक अद्भुत अनुभव है। यह हमें हमारी परंपराओं की गहराई और उनके वैज्ञानिक आधार का एहसास कराता है।
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जय हिंद, जय भारत।