हालांकि, आज के समय में तकनीकी प्रगति और प्रशासनिक सुधारों के चलते बिछड़ने की घटनाएं कम हो गई हैं और यदि होती भी हैं, तो लोगों को आसानी से ढूंढा जा सकता है। कुछ प्रमुख उपाय जिनसे ऐसी घटनाओं में कमी आई है:
1. संचार तकनीक का उपयोग:
- अब हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन होता है, जिससे बिछड़ने पर तुरंत संपर्क किया जा सकता है। फोन और इंटरनेट की उपलब्धता ने लोगों के बिछड़ने की समस्या को काफी कम कर दिया है।
- मेले के दौरान सूचना केंद्रों और सार्वजनिक उद्घोषणाओं के माध्यम से लोग एक-दूसरे से संपर्क कर सकते हैं।
2. RFID बैंड का उपयोग:
- कुंभ मेले के दौरान, विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए RFID (Radio Frequency Identification) बैंड दिए जाते हैं। ये बैंड प्रशासन को बिछड़े हुए लोगों का पता लगाने और उन्हें उनके परिवारों से मिलाने में मदद करते हैं।
3. पुलिस और स्वयंसेवकों की तैनाती:
- मेले में बड़े पैमाने पर पुलिस, सुरक्षा बल और स्वयंसेवक तैनात रहते हैं, जो बिछड़े हुए लोगों की मदद करते हैं। कई स्थानों पर खोया-पाया केंद्र बनाए जाते हैं, जहां बिछड़े हुए लोग इकट्ठा किए जाते हैं और उनके परिवारों से मिलवाया जाता है।
4. सीसीटीवी निगरानी:
- मेले के दौरान बड़े पैमाने पर सीसीटीवी कैमरों का उपयोग किया जाता है, जिससे भीड़ की निगरानी की जाती है और किसी व्यक्ति के बिछड़ने की स्थिति में उनकी पहचान और लोकेशन का पता लगाया जा सकता है।
5. विशेष मोबाइल ऐप्स और हेल्पलाइन:
- कुंभ मेले के दौरान प्रशासन द्वारा विशेष मोबाइल ऐप्स और हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाते हैं, जिनसे बिछड़े हुए लोगों की जानकारी साझा की जा सकती है। इन ऐप्स के जरिए परिवार के सदस्य एक-दूसरे को आसानी से ढूंढ सकते हैं।
6. भौतिक पहचान चिह्न:
- मेले में आने वाले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे पहचान पत्र या एक विशिष्ट चिह्न अपने साथ रखें, जिससे अगर वे बिछड़ जाते हैं तो उन्हें पहचाना जा सके। खासतौर पर बुजुर्गों और बच्चों को पहचान टैग दिए जाते हैं।
7. ड्रोन सर्विलांस:
- कई स्थानों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए ड्रोन सर्विलांस का भी उपयोग किया जाता है, जिससे बड़ी भीड़ में बिछड़े हुए लोगों को ढूंढना आसान हो गया है।
इन उपायों के चलते कुंभ मेला जैसे बड़े आयोजनों में बिछड़ने की घटनाएं काफी हद तक कम हो गई हैं, और यदि ऐसी घटनाएं होती भी हैं, तो उन्हें प्रभावी ढंग से संभाला जा सकता है।