चौसठ योगिनी का मंदिर किस वंश ने बनवाया था? जानें
चौसठ योगिनी मंदिर, भारत में विभिन्न स्थानों पर पाए जाने वाले मंदिर हैं जो 64 योगिनियों को समर्पित हैं। इन मंदिरों की स्थापना 8वीं से 12वीं शताब्दी के बीच हुई थी, और इनका निर्माण विभिन्न राजवंशों द्वारा किया गया था।कौन सा वंश?
यह निश्चित रूप से कहना मुश्किल है कि किस वंश ने सबसे पहले चौसठ योगिनी मंदिरों का निर्माण शुरू किया था। कुछ मंदिरों का निर्माण कल्चुरी वंश द्वारा किया गया था, जो 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच मध्य भारत में शासन कर रहा था। अन्य मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश द्वारा किया गया था, जो 10वीं से 13वीं शताब्दी के बीच मध्य भारत और बुंदेलखंड में शासन कर रहा था। कुछ मंदिरों का निर्माण परमार वंश द्वारा भी किया गया था, जो 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच पश्चिमी भारत में शासन कर रहा था।
प्रमुख मंदिर
चौसठ योगिनी मंदिरों के कुछ प्रमुख उदाहरणों में शामिल हैं:
- मध्य प्रदेश: मुरैना, खजुराहो, मितौली, और जबलपुर
- उत्तर प्रदेश: मिर्जापुर, ललितपुर, और देवरिया
- छत्तीसगढ़: राजिम
- राजस्थान: रणथंभौर
वास्तुकला
चौसठ योगिनी मंदिरों की वास्तुकला भिन्न होती है, लेकिन कुछ सामान्य विशेषताएं हैं। इन मंदिरों में आमतौर पर एक गोलाकार या वर्गाकार आधार होता है, जिसके चारों ओर एक स्तंभों वाला मंडप होता है। मंडप के अंदर 64 योगिनियों की मूर्तियां होती हैं, जो विभिन्न मुद्राओं और आसनों में विराजमान होती हैं। मंदिर के केंद्र में आमतौर पर भगवान शिव का लिंग होता है।
धार्मिक महत्व
चौसठ योगिनी मंदिरों का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। योगिनियों को देवी शक्ति के विभिन्न रूपों के रूप में देखा जाता है, और इन मंदिरों को तंत्र और मंत्र शास्त्र के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
निष्कर्ष
चौसठ योगिनी मंदिर भारत के समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन मंदिरों की स्थापना विभिन्न राजवंशों द्वारा की गई थी, और इनकी वास्तुकला और धार्मिक महत्व दर्शनीय है.