यदि कोई 5 साल का बच्चा 8 घंटे मोबाइल देखता है तो इसका उसके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
शारीरिक प्रभाव:
- आंखों की थकान: मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों को थका सकती है, जिसके परिणामस्वरूप धुंधली दृष्टि, सिरदर्द और आंखों में जलन हो सकती है।
- नींद में बाधा: मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को बाधित कर सकती है, जो एक हार्मोन है जो नींद को नियंत्रित करता है। इससे बच्चे को सोने में कठिनाई हो सकती है और उसकी नींद की गुणवत्ता कम हो सकती है।
- मोटापा: मोबाइल स्क्रीन के सामने बहुत अधिक समय बिताने से बच्चे कम सक्रिय हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
मानसिक प्रभाव:
- एकाग्रता में कमी: मोबाइल स्क्रीन से लगातार उत्तेजना बच्चे की एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को कम कर सकती है।
- भाषा विकास में देरी: मोबाइल स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग बच्चे के भाषा विकास में देरी कर सकता है।
- व्यवहार संबंधी समस्याएं: मोबाइल स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग बच्चे में चिड़चिड़ापन, आक्रामकता और अन्य व्यवहार संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
सामाजिक प्रभाव:
- सामाजिक कौशल में कमी: मोबाइल स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग बच्चे के सामाजिक कौशल को कम कर सकता है, क्योंकि वे दूसरों के साथ बातचीत करने के बजाय स्क्रीन पर अधिक समय बिताते हैं।
- अकेलापन और अवसाद: मोबाइल स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग बच्चे को अकेला और उदास महसूस करा सकता है।
यह अनुशंसा की जाती है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन टाइम न दिया जाए और 2-5 साल के बच्चों को प्रतिदिन 1 घंटे से अधिक स्क्रीन टाइम न दिया जाए।
यहां कुछ युक्तियां दी गई हैं जिनसे आप अपने बच्चे के स्क्रीन टाइम को कम कर सकते हैं:
- अपने बच्चे के लिए स्क्रीन टाइम की सीमा निर्धारित करें।
- अपने बच्चे के लिए स्क्रीन-मुक्त समय निर्धारित करें।
- अपने बच्चे के साथ स्क्रीन-मुक्त गतिविधियों में शामिल हों।
- अपने बच्चे को स्क्रीन का उचित उपयोग करना सिखाएं।
यह भी महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चे के लिए एक अच्छा रोल मॉडल बनें। यदि आप स्वयं बहुत अधिक समय मोबाइल स्क्रीन पर बिताते हैं, तो आपके बच्चे के भी ऐसा करने की संभावना अधिक होगी।
अंत में, यदि आपको लगता है कि आपके बच्चे का मोबाइल स्क्रीन का उपयोग उसके विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है, तो आपको डॉक्टर या बाल मनोवैज्ञानिक से बात करनी चाहिए।