पट्टा और रजिस्ट्री में क्या है अंतर? जमीन खरीदने से पहले जान लें नियम, कहीं डूब न जाएं पैसे!
आपको बता दें कि लीज को ही पट्टा कराना कहते है। कई लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि लम्बे समय के भी प्रॉपर्टी को आप लीज पर ले सकते है। इसके बाद लीज पर लेने वाला व्यक्ति उस प्रॉपर्टी में स्थानीय प्राधिकरण की मदद से कुछ भी कर सकता है इसमें प्रॉपर्टी का असली मालिक की कोई दखलंदाजी नहीं होगी।
आपको बता दे कि अधिकतर कमर्शियल प्रॉपर्टीज को लीज पर लिया जाता है जो 30 साल से लेकर 99 साल तक हो सकती है। अब आपको प्रॉपर्टी लीज पर लेने का मतलब समझ में आ चुका होगा। इसलिए अब आपको बताते हैं की प्रॉपर्टी खरीदने या लीज पर लेने में से ज्यादा फायदेमंद क्या होगा? लेकिन यहाँ पर हम केवल कमर्शियल प्रॉपर्टी के बारे में ही बात करेंगे।
खरीदना और पट्टा कराना
अगर कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी खरीदना है तो उसका पूरा मालिकाना है उसके पास आ जाता है जब तक वह किसी और को ये जमीन नहीं बेच देता तब तक वह उसके पास ही रहती है और उसे पर कोई भी निर्माण हो तो उस पर उसी का हक होगा।
लेकिन लीज में अलग नियम लागू होते है। आप किसी प्रॉपर्टी को एक निश्चित समय के लिए लीज या किराए पर ले सकते हैं। लेकिन अगर प्रॉपर्टी का असली मालिक चाहे तो बाकी की रकम लेकर जमीन को पूर्ण रूप से पाटीदार को बेच सकता है।
दूसरा ये अंतर मौद्रिक होती है। अगर हम कोई प्रॉपर्टी लीज पर लेते हैं तो यह खरीदने से ज्यादा सस्ती होती है। इसलिए बिल्डर ज्यादातर अपार्टमेंट को बनाने के लिए जमीन को लीज पर लेते है। इस प्रकार उन्हें कम रकम देनी होती है।
कब क्या लेना चाहिए?
आपको बता दे कि अगर आप किसी प्रॉपर्टी का लंबे समय तक रखना चाहते हैं या इसे अपने बच्चों को देना चाहते हैं तो आपको इस प्रॉपर्टी को खरीद लेना चाहिए। प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए आपको एक बार पैसे ही पैसे देने पड़ेंगे लेकिन वह जमीन हमेशा के लिए आपकी हो जाएगी और आप इसे अपने बच्चों के नाम भी कर सकते हैं।
वहीं अगर आपको प्रॉपर्टी हमेशा के लिए नहीं चाहिए और आगे से अपने वंशजो को नहीं देना चाहते या विरासत नहीं बनाना चाहते तो इसे लीज पर लेना ही सही रहेगा। आप किसी कमर्शियल कारण के लिए प्रॉपर्टी को 30-50 सालों तक लीज पर ले सकते है। इसके लिए बस आपको किराया देना होगा और ये आपको सस्ती भी पड़ेगी।