20 September 2023

House Construction Tips : सस्ता घर बनाना चाहते हैं तो इन 6 तरीको से घटा सकते हैं कंस्‍ट्रक्‍शन का खर्च

House Construction Tips : सस्ता घर बनाना चाहते हैं तो इन 6 तरीको से घटा सकते हैं कंस्‍ट्रक्‍शन का खर्च

घर बनाने में औसत लागत करीब 1,500 रुपये प्रति वर्ग फीट आती है. महंगे साजो-सामान के साथ लग्‍जरी घरों के लिए यह करीब 2,000 रुपये प्रति वर्ग फीट बैठती है.

Construction : अलग-अलग तरह की रिपोर्टों से पता चलता है कि ज्‍यादा लोग प्‍लॉट लेकर घर बनवाना चाहते हैं. मैजिकब्रिक्‍स डॉट कॉम जैसी प्रॉपर्टी सर्च साइट्स कहती हैं कि रेजिडेंशियल प्‍लॉट की डिमांड बढ़ी है. यह बिल्‍कुल सही है कि प्‍लॉट खरीदना आसान है. लेकिन, इस पर घर बनवाना सरल नहीं है. सबसे बड़ी चुनौती लागत को कंट्रोल करने की है. एनरॉक प्रॉपर्टी कंसल्‍टेंट्स (Enrock Property Consultants) में डायरेक्‍टर और हेड- रिसर्च प्रशांत ठाकुर (Head- Research Prashant Thakur) कहते हैं कि अगर समझदारी से कंस्‍ट्रक्‍शन कराया जाए तो काफी अधिक बचत की जा सकती है.

आर्किटेक्‍ट हाफिज कॉन्‍ट्रैक्‍टर (Architect Hafiz Contractor) भी इस बात से सहमति जताते हैं. हाफिज कहते हैं कि छोटी-छोटी चीजें सही तरीके से करके कंस्‍ट्रक्‍शन कॉस्‍ट में 12-15 फीसदी की बचत की जा सकती है या फिर कारपेट एरिया को 15 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है.

सवाल उठता है कि आप कितनी बचत कर सकते हैं? यह कंस्‍ट्रक्‍शन के लिए उपलब्‍ध एरिया पर निर्भर करता है. वैसे तो कंस्‍ट्रक्‍शन कॉस्‍ट अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग हो सकती है. लेकिन, घर बनाने में औसत लागत करीब 1,500 रुपये प्रति वर्ग फीट आती है. महंगे साजो-सामान के साथ लग्‍जरी घरों के लिए यह करीब 2,000 रुपये प्रति वर्ग फीट बैठती है. वहीं, बहुत बुनियादी चीजों से काम चला सकते हैं तो यह लागत 1,200 रुपये प्रति वर्ग फीट आएगी.

इस तरह अगर आप 2,000 वर्ग फीट में घर बनवाने के बारे में सोच रहे हैं तो कंस्‍ट्रक्‍शन का बजट करीब 30 लाख रुपये आएगा. इसमें 12-15 फीसदी बचत का मतलब है कि 3.6 लाख से 4.5 लाख रुपये आपके हाथ में रहेंगे. ऐसे में कॉस्‍ट को कम रखने के लिए कुछ आसान टिप्‍स को फॉलो करने में समझदारी है. आइए, यहां उनके बारे में देखते हैं.

सही प्‍लॉट

आपको ऐसा प्‍लॉट लेने की कोशिश करनी चाहिए जो समतल और सड़क के लेवल पर हो. ठाकुर कहते हैं कि अगर प्‍लॉट ऊबड़-खाबड़ या पथरीला है तो इसमें एक्‍स्‍ट्रा कॉस्‍ट लगेगी. प्‍लॉट को समतल कराने में अतिरिक्‍त मटीरियल खर्च होगा जो इसकी लागत बढ़ाएंगे.

अच्‍छा आर्किटेक्‍ट और ठेकेदार

यह सही है कि अच्‍छे आर्किटेक्‍ट की सेवाएं लेने में पैसा खर्च होता है. लेकिन, कंस्‍ट्रक्‍शन कॉस्‍ट में आपको काफी बचत होती है. ठाकुर के अनुसार, अच्‍छे आर्किटेक्‍ट उपलब्‍ध जगह का ज्‍यादा से ज्‍यादा इस्‍तेमाल कर सकते हैं. इससे कॉस्‍ट में बचत होती है. इसी तरह पूरा काम खत्म करके घर की चाबी पकड़ाने वाले कॉन्‍ट्रैक्‍टर अमूमन कंस्‍ट्रक्‍शन कॉस्‍ट का करीब 10 फीसदी चार्ज करते हैं. क्‍या कंस्‍ट्रक्‍शन की जिम्‍मेदारी खुद लेकर आपको यह खर्च बचाना चाहिए? अगर समय है तो आप ऐसा कर सकते हैं. हालांकि, याद रखें कि पूरा 10 फीसदी नहीं बचाया जा सकता है क्‍योंकि आपको मजबूरन सब-कॉन्‍ट्रैक्‍टर रखना पड़ेगा. अगर आप खुद यह काम करने की योजना बना रहे हैं तो डिजाइन को सिंपल रखें.

स्‍टैंडर्ड डिजाइन के साथ जाएं

आपके दिल में किसी बहुत खूबसूरत घर का ख्‍याल हो सकता है. लेकिन, इसे बनवाने में खर्च भी ज्‍यादा आएगा. अच्‍छा होगा कि आप आमतौर पर इस्‍तेमाल होने वाले ग्रिड स्‍ट्रक्‍चर के साथ जुड़े रहें. यह मजबूत होता है और वजन उठा पाता है. चमक-धमक वाले स्‍ट्रक्‍चर आंखों को अच्‍छा दिख सकते हैं. लेकिन, इनमें कम मजबूती हो सकती है.

बड़े पैमाने पर स्‍थानीय खरीदारी करें

घर बनाने की लागत घटाने का सबसे अच्‍छा तरीका यह है कि कच्‍चे माल की खरीद स्‍थानीय स्‍तर पर की जाए. फिर चाहे वह सीमेंट, ईंट हों या दरवाजे, पल्‍ले और खिड़कियां. बल्‍क में खरीदने पर कॉस्‍ट तो बचती है. लेकिन, यह देख लेना चाहिए कि इन्‍हें स्‍टोर करने का पर्याप्‍त इंतजाम हो.

लेटेस्‍ट टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल करें

इंडस्ट्रियल कंस्‍ट्रक्‍शन (industrial construction) में लोकप्रिय प्री-इंजीनियर्ड बिल्डिंग्‍स (पीईबी) का कॉन्‍सेप्‍ट धीरे-धीरे रेजिडेंशियल कंस्‍ट्रक्‍शन में भी इस्तेमाल किया जा रहा है. आसान शब्‍दों में कहें तो पीईबी बने-बनाए आयरन स्‍टील स्‍ट्रक्‍चर होते हैं. ये न केवल कॉस्‍ट घटाते हैं बल्कि कंस्‍ट्रक्‍शन के काम को भी रफ्तार देते हैं.

घर की उम्र से जुड़ी लागत का ध्‍यान रखें

हाजिफ कहते हैं कम लागत में घर बनाने का मतलब यह नहीं कि उसकी क्‍वालिटी के साथ समझौता किया जाए. घर बनवाने में सिर्फ शुरुआती कॉस्‍ट का ही नहीं, बल्कि पूरी जिंदगी इस पर आने वाले खर्च को ध्‍यान में रखने की जरूरत है. यह अमूमन करीब 30-50 साल होती है. आईएमके आर्किटेक्‍ट्स एंड अर्बन प्‍लानर्स के राहुल कादरी कहते हैं कि आर्किटेक्‍ट की मदद से ऐसा मटीरियल चुनें जो लंबे समय तक चले. साथ ही वह बहुत महंगा नहीं हो. यह आपको भविष्‍य में रिपेयर या रिप्‍लेसमेंट कॉस्‍ट घटाने में मदद करेगा.