04 September 2023

लोग बोले इंजीनियर होकर उठा रहा है गोबर, 5 हजार से शुरू कर खड़ा किया 50 करोड़ का बिजनेस - business

लोग बोले इंजीनियर होकर उठा रहा है गोबर, 5 हजार से शुरू कर खड़ा किया 50 करोड़ का बिजनेस

एक छोटे से व्यवसाय से भी कड़ी मेहनत करके करोड़ों का साम्राज्य बनाया जा सकता है। आज हम एक ऐसे इंजीनियर के बारे में बताने जा रहे हैं जो हजारों चुनौतियों के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी है।

E4you.in - एक छोटे से व्यवसाय से भी कड़ी मेहनत करके करोड़ों का साम्राज्य बनाया जा सकता है। आज हम एक ऐसे इंजीनियर के बारे में बताने जा रहे हैं जो हजारों चुनौतियों के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी है। लोगों के ताने सुनें, लेकिन अपने पर कोई प्रभाव नहीं डालें। इस कठिन परिश्रम का परिणाम क्या हुआ? आज, सिर्फ 25 साल के इस लड़के की कंपनी 50 करोड़ से अधिक की है।

हम 25 वर्षीय अक्षय श्रीवास्तव से बात कर रहे हैं। यदि आपने पहले कभी इनका नाम नहीं सुना है, तो आप आज के बाद इनका नाम कभी नहीं भूलेंगे। अक्षय का पूरा जीवन खेती पर निर्भर था क्योंकि उसके पिता किसान थे। अक्षय ने अपनी पढ़ाई बहुत कठिन परिस्थितियों में पूरी की। स्कॉलरशिप के बाद गोरखपुर की एक यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। जब वे बड़े हुए, अक्षय ने गांव के किसानों की परेशानियों को देखा था, तो उन्होंने कुछ ऐसा करने की ठान रखी कि उनकी परेशानियों को दूर कर सकें।

लोगों ने सुना, लेकिन नहीं मानी

अक्षय ने अपनी पहली बिक्री सिर्फ दो किलोग्राम खाद से की थी। वह अब हर महीने पांच सौ टन बायो फर्टिलाइजर बना रहे हैं, सिर्फ तीन साल में। फरवरी 2020 में अक्षय ने लैब में बायो फर्टिलाइजर बनाने के लिए कल्चर बनाना शुरू किया था, लेकिन कोरोना वायरस ने इसे रोक दिया। सभी लोग तीन चार महीने के लिए घर में बंद हो गए। तैयार कल्चर मर गया और जीवाणु नष्ट हो गए। मैं आखिर कर क्या रहा हूँ, इससे भी घरवाले परेशान थे। मैं भी डिप्रेशन में था। पड़ोसियों और ग्रामीणों ने कहा कि जब गोबर ही उठाना था तो इंजीनियरिंग क्यों की? मां-बाप ने पेट काटकर इंजीनियरिंग कराई, बेटा गोबर उठा रहा है।

पढ़ें लेखक किसानों ने किसानों को लक्ष्य किया

उन्होंने बताया कि शुरुआत में कोई भी उनसे फर्टिलाइजर खरीदना नहीं चाहता था। किसानों ने उनसे कुछ भी नहीं कहा। फिर उन्होंने गांवों में पढ़े-लिखे किसानों से संपर्क करना शुरू किया। पहले हम किसानों से उन क्षेत्रों का सर्वे किया। हमने उन्हीं किसानों में से किसी एक को मुफ्त बायो फर्टिलाइजर दिया था। वह किसान इस तरह हमारा डीलर बन जाता है। इसके बाद, उन्होंने हर तरह की फसल के लिए अलग-अलग बायोफार्म बनाना शुरू किया।

95 शहर कारोबार

जब मैंने पहली बार खाद बनाया और उसका सैंपल अपने समूह में भेजा, तो पहले से ही ऑर्डर आने लगे। मेरी गाड़ी भी जल्दी चलने लगी क्योंकि पेमेंट जल्दी आने लगे। टीम और उत्पादन बढ़ने लगे। हम सबसे पहले उत्तर प्रदेश में काम करना शुरू किया। देश भर के कई संस्थानों, जैसे BHU और Indian Institute of Technology (IIT) कानपुर, ने मेरी कल्पना को अपनाने में मदद की। अभी लगभग 30 हजार कृषक मेरे साथ जुड़े हुए हैं। 9 राज्यों के 95 शहरों में हमारी सेवाएं उपलब्ध हैं। हमने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक और प्लांट लगाया है।