17 April 2023

MP NEWS - निलंबित कर्मचारियों के लिए नया नियम

BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर एक और नकेल कसने की तैयारी कर रही है। इस साल आखिर में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और इससे पहले  शिवराज सरकार भ्रष्ट अफसरों पर बड़ा एक्शन ले सकती है। इसमें राज्य सरकार सस्पेंड कर्मचारी-अधिकारियों के निर्वाह भत्ता (सैलरी) का नए सिरे से निर्धारण कर सकती है। इसके तहत निलंबन के 3 महीने बाद 75 प्रतिशत सैलरी के नियम को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए निर्वाह भत्ता नियम में संशोधन होगा।

जानकारी के मुताबिक, सीएम शिवराज सिंह चौहान के ऑफिस (CMO) के निर्देश पर निलंबित कर्मचारियों को 3 महीने बाद 75% निर्वाह भत्ता के नियम को खत्म किया जा रहा है। इसको लेकर सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही कैबिनेट में रखा जाएगा। इसके बाद नियमों में संशोधन किया जाएगा। इसके बाद सस्पेंड कर्मचारी-अफसर की सैलरी को नए सिरे से तय किया जाएगा।

रंगे हाथ पकड़ाए कर्मचारियों, आय से ज्यादा संपत्ति मामले में संशोधित ड्राफ्ट सामान्य प्रशासन विभाग ने संशोधन के लिए अन्य प्रदेशों के प्रावधानों पर भी विचार कर रहा है। वहीं, रिश्वत में रंगे हाथ पकड़ाए कर्मचारी-अधिकारी, आय से ज्यादा संपत्ति के मामले समेत भ्रष्टाचार के विचाराधीन मामलों के लिए अलग से संशोधित ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इसे कैबिनेट में लाकर मंजूरी दी जाएगी।

सस्पेंड कर्मचारी के लिए सरकार में अभी ये है नियम

अब तक मध्य प्रदेश में यदि किसी सरकारी कर्मचारी-अफसर को किसी भी कारण से सस्पेंड किया जाता है तो पहले 3 महीने तक उसे उसकी सैलरी का 50% निर्वाह भत्ता (सैलरी) दिया जाता है। उसके बाद 75% सैलरी दी जाती है। इसका कारण यह है कि किसी भी कर्मचारी को सस्पेंड करने के 3 महीने के भीतर आरोप पत्र (चार्जशीट) देने के बाद विभागीय जांच की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता तो शासन की लापरवाही का खामियाजा निलंबित कर्मचारी को नहीं दिया जा सकता। इसलिए उसे 3 महीने बाद 75% निर्वाह भत्ता दिया जाता है। अगर तय अवधि (3 महीने) में सस्पेंड कर्मचारी की चार्जशीट नहीं दिया जा सकी तो उसका निलंबन खत्म करने के नियम है। अब इन नियमों को संशोधित करने की तैयारी है।