इस तरह से खेती करके किसान एक ही खेत में दो फसलें उगा सकते हैं
बहुत सारे किसान भाई अपने खेत में ग्रीष्मकालीन मूंग सहित विभिन्न दलहनी फसलों का उत्पादन ले सकते हैं। अगर कतारों में दलहन की बुवाई की गई है, तो मध्य में हल्दी, अदरक की भांति औषधी और मसाला फसलों का उत्पादन करके दोगुना उत्पादन ले सकते हैं। अंतरवर्तीय खेती की सर्वाधिक विशेष बात यही है, कि कतारों में 2 से ज्यादा फसलों की बुवाई की जा सकती हैं। इसमें अलग से खाद-उर्वरक का खर्चा नहीं आता है। किसान को केवल भिन्न-भिन्न बीज डालने होते हैं, जिसके उपरांत एक ही फसल में लगाए जाने वाले इनपु्ट्स से सारी फसलों की उन्नति हो सकती है।
अरहर और हल्दी की अंतरवर्तीय खेती से अच्छा मुनाफा हांसिल किया जा सकता है
अरहर एक प्रमुख दलहनी फसल मानी जाती है, तो वहीं मसाला एवं औषधी के रूप में बाजार में हल्दी की काफी मांग रहती है। एक ही भूमि पर कतारों में इन दोनों फसलों को बोया जा सकता है। हालांकि, हल्दी को छायादार जगह पर उत्पादित किया जाता है, इस वजह से अरहर समेत इसकी फसल लेना काफी फायदेमंद रहेगा।
एक साथ बुवाई करके दोनों फसलें पककर तैयार हो जाती हैं। अरहर जैसी दलहनी फसलों के साथ अंतरवर्तीय खेती करने का सबसे बड़ा लाभ यह है, कि यह फसलें वातावरण से नाइट्रोजन को सोखकर भूमि तक पहुंचाती हैं।
इससे मिट्टी की उर्वरकता में वृद्धि होती है। वहीं साथ-साथ में उगने वाली फसल को इसका प्रत्यक्ष तौर पर फायदा मिलता है। विशेषज्ञों के अनुसार, दलहनी फसलों की खेती सहित अथवा इसके उपरांत बोई जाने वाली फसलों की पैदावार में वृद्धि हो जाती है। दलहनी फसलों की कटाई करने के उपरांत अलग से खाद-उर्वरक का इस्तेमाल नहीं करना होता है।
मृदा में कटाव होने से भी बचता है
जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव साफ तौर पर खेती-किसानी पर देखने को मिल रहा है। कभी बेमौसम बारिश तो कभी सूखा जैसी परिस्थितियों से फसलें चौपट होती जा रही हैं। भूजल स्तर में गिरावट आने से मृदा में कटाव काफी बढ़ रहा है। अंतरवर्तीय खेती को इस समस्या का सर्वोत्तम समाधान माना जाता है।
एक सहित विभिन्न फसलों को लगाने से मृदा में जल को बांधने की क्षमता बढ़ जाती है। इससे वर्षा के समय में कटाव की समस्या नहीं रहती एवं मिट्टी में भी नमी बरकरार रहती है। अगर किसी कारणवश एक फसल को हानि पहुँच भी जाए तब भी किसान पर जीवनयापन करने हेतु दूसरी फसल का सहारा मिल जाता है। औषधीय फसलों की अंतरवर्तीय खेती करने अथवा फसल विविधता के चलते फसल में कीट-रोगों का प्रकोप नहीं रहता है। इससे कीटनाशकों का खर्चा बच जाता है। फसल की गुणवत्ता को उत्तम बनी रहने के साथ बाजार में उत्पादन को अच्छा खासा भाव मिल जाता है।
जानें इन फसलों को एकसाथ उगाया जाता है
भारत के तकरीबन समस्त क्षेत्रों में रबी फसलों की कटाई का कार्य पूर्ण हो चुका है। कुछ किसान जायद सीजन की फसल उगा रहे हैं, तो वहीं कुछ खरीफ सीजन के लिए भूमि को तैयार कर रहे हैं। किसान यदि चाहें तो खरीफ सीजन के दौरान अंतरवर्तीय पद्धति से उत्पादन कर सकते हैं। खरीफ सीजन के समय एक साथ उत्पादित की जाने वाली फसलों के अंतर्गत सोयाबीन + मक्का, मूंगफली + बाजरा, मूंगफली + तिल, मूंग + तिल, अरहर + मक्का,अरहर + सोयाबीन, अरहर + तिल, अरहर + मूंगफली आती हैं।