व्यापमं और एमपी बोर्ड पेपर लीक कांड में समानता
व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षाओं की शिकायतें सामने आती थीं। शुरू में इसे अफवाह बताकर पल्ला झाड़ते रहे। दबाव बनने पर जांच के नाम पर मामला बढ़ा दिया जाता। वजह साफ थी कि घोटाले में व्यापमं के सीनियर अफसर शामिल रहे। बाद में जांच के लिए गठित एसटीएफ ने इन्हें दबोचा।
इसी तरह, माध्यमिक शिक्षा मंडल के अफसर पेपर लीक होने की सूचना अफवाह बताते रहे। यही नहीं, मंडल ने क्राइम ब्रांच में एफआईआर तक करा दी। पुलिस ने शनिवार को मंडीदीप से कौशिक दुबे को सोशल मीडिया पर बोर्ड एग्जाम का पेपर बेचने के आरोप में पकड़ा। थोड़ी देर बाद पुलिस ने भोपाल के छोला इलाके विद्यासागर स्कूल परीक्षा केंद्र से चार लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें केंद्राध्यक्ष, सहायक केंद्राध्यक्ष और दो पर्यवेक्षक शामिल रहे। दोनों पर्यवेक्षक एग्जाम शुरू होने से आधा घंटे पहले ही पेपर वॉट्सएप ग्रुप में सेंड कर देते थे।
कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बताया कि पेपर लीक करने की कोशिश में विद्यासागर स्कूल के चार टीचर्स को गिरफ्तार किया गया है। इन्होंने 12वीं के केमिस्ट्री का पेपर परीक्षा हॉल से फोटो खींचकर वायरल किया था। स्कूल के टीचर पवन सिंह, विश्वनाथ सिंह, महिला सुप्रिटेंडेंट और सहायक सुप्रिटेंडेंट की गिरफ्तारी हुई है। छात्रों को नकल कराने के मकसद से फोटो लिया गया था।
पेपर लीक कांड में विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों कटघरे में
- हुकुम चंद लिटोरिया, प्रचार्य, शासकीय हाई स्कूल सिगौरा ब्लॉक घाटीगांव, ग्वालियर।
- बल सिंह चौहान, शिक्षक, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बोकराटा, बड़वानी।
- दिलीप सिंह अवस्या, शिक्षक, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लिंबी, बड़वानी।
- रमाशंकर अहिरवार, टीचर, शासकीय उच्चतर माध्यमिक ईंटखेड़ी, रायसेन।
- निर्भय सिंह मवैदी, टीचर, शासकीय उच्चतर माध्यमिक बीकलपुर, रायसेन।
- रेखा बैरागी, टीचर, शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जीरापुर राजगढ़।
- राम सागर शर्मा, टीचर, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, राजगढ़।
- विवेक कुमार लिटोरिया, टीचर, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, ग्वालियर।
- धनराज पाटीदार, टीचर, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पीपल्याकुलसी, राजगढ़।
- पवन सिंह, विद्यासागर स्कूल परीक्षा केंद्र का पर्यवेक्षक, भोपाल
- विश्वनाथ सिंह, विद्यासागर स्कूल परीक्षा केंद्र का पर्यवेक्षक, भोपाल
- राजकुमार सक्सेना, केन्द्राध्यक्ष।
- रेखा गोयल, सहायक केन्द्राध्यक्ष।
कब-कब सोशल मीडिया पर पर्चे सामने आए
- 1 मार्च को हुआ 10वीं का पहला पेपर एक दिन पहले ही सोशल मीडिया पर सामने आया।
- 11 मार्च को 10वीं का गणित का पेपर 21 मिनट पहले सोशल मीडिया पर सामने आया।
- 14 मार्च को 10वीं का संस्कृत का पर्चा 50 मिनट पहले सोशल मीडिया पर आ चुका था।
कोचिंग के स्टूडेंट को पास कराने पेपर लीक किया
आरोपी एग्जाम पर्यवेक्षक पवन सिंह और विश्वनाथ की पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा किया। दोनों सरकारी टीचर हैं। उन्होंने पूछताछ में बताया कि वह कोचिंग सेंटर चलाते हैं। कोचिंग में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को अच्छे नंबरों से पास कराने के लिए वह एग्जाम के करीब आधा घंटा पहले पेपर वाट्सऐप ग्रुप पर भेज देते हैं, ताकि छात्र पेपर पढ़कर उसके आंसर याद कर लें, जिससे कि वह अच्छे नंबर ला सकेंं। इससे उनकी कोचिंग का भी परफॉर्मेंस बेहतर दिखेगा। इससे कोचिंग में ज्यादा स्टूडेंट पढ़ने आएंगे।
आशंका है कि जब आरोपी स्टूडेंट के सोशल मीडिया ग्रुप पर पेपर डालते हैं, तो स्टूडेंट भी दूसरे ग्रुप में भेजते होंगे। इससे प्रदेशभर में पेपर लीक होने की संभावना भी है। इस दिशा में भी पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। आरोपियों ने पूछताछ में कबूला कि वह 3 मार्च से इस तरह पेपर भेज रहे हैं। शुक्रवार को भी केमिस्ट्री और बिजनेस एनालिसिस का पेपर लीक किए थे।
4 मार्च को पुलिस से हुई शिकायत
इसके अलावा 12वीं का हिंदी, अंग्रेजी और बायोलॉजी का पेपर भी सोशल मीडिया पर सामने आया। माशिमं सचिव ने बताया, हमने 4 मार्च को पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखा था। यह शिकायतें हमने सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ की थीं। इसके अलावा हम लगातार पुलिस को सभी तरह के एविडेंस भी दे रहे हैं, जो भी हमें सोशल मीडिया आदि से मिल रहे हैं।
बड़ा सवाल: क्या फिर से होंगे बोर्ड के पेपर?
पुलिस के खुलासे, केंद्राध्यक्षों व सहायक केंद्राध्यक्षों पर विभागीय कार्रवाई से साफ हो चुका है कि पेपर लीक हुए हैं। भले ही माध्यमिक शिक्षा मंडल इस मामले को अफवाह बताकर पल्ला झाड़ता रहा है, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या फिर से माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड एग्जाम कराएगा। यदि पेपर नहीं हुए तो लीक हुए पेपर पढ़कर परीक्षा देने वाले स्टूडेंट न सिर्फ पास होंगे, बल्कि वह टॉपर्स बन जाएंगे। इससे पढ़ने वाले छात्रों का नुकसान तय है।
शिक्षा मंत्री को बर्खास्त करने की मांग
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार माफियाओं के कंट्रोल में आ चुकी है। सरकार बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। शिक्षा विभाग में लगातार घोटाले सामने आ रहे हैं। इसमें शिक्षा मंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिए।
प्रदेश भर से 18 लाख 22 हजार छात्र
इस साल 10वीं-12वीं में कुल 18 लाख 22 हजार छात्र शामिल हुए हैं। दसवीं के 9 लाख 65 हजार और 12वीं में 8 लाख 57 हजार छात्र हिस्सा ले रहे हैं। प्रदेश भर में 3,852 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इसमें से 3099 सरकारी व 753 निजी स्कूल शामिल हैं। इस साल 618 केंद्रों को संवेदनशील व अति संवेदनशील है। इनमें से 324 अति संवेदनशील और 294 संवेदनशील केंद्र हैं। अधिकतर भिंड-मुरैना में स्थित हैं। इसके अलावा, भोपाल 103 परीक्षा केंद्र हैं। इसमें 8 संवेदनशील परीक्षा केंद्र भी शामिल हैं।
स्टूडेंट्स के लिए जारी की एडवाइजरी
किसी भी व्यक्ति के परीक्षा से पहले पेपर लेने के प्रलोभन में न आएं।किसी भी व्यक्ति को एग्जाम के पेपर के एवज में पैसे न दें।असामाजिक तत्व पैसे कमाने के लिए अनुमानित व डमी पेपर भेज रहे हैं।पेपर को असली दिखाने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल के मोनो का इस्तेमाल करते हैं।
व्यापमं रैकेट में विभाग के अफसर-कर्मचारी रहे शामिल
व्यापमं में अनियमितताओं की शिकायत साल 1990 से आनी शुरू हो गई थी, लेकिन अधिकारी-कर्मचारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। अफवाह बताते रहे। पहली एफआईआर 2009 में दर्ज हुई। 100 से अधिक लोग गिरफ्तार हुए। घोटाले की व्यापकता वर्ष 2013 में तब सामने आई, जब इंदौर पुलिस ने वर्ष 2009 की पीएमटी प्रवेश से जुड़े मामलों में 20 नकली अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया।