🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷
दिनांक - - २२ मार्च २०२२ ईस्वी
दिन - - मंगलवार
🌔 तिथि - - पंचमी ( २८:२३ तक तत्पश्चात षष्ठी )
🪐 नक्षत्र - - विशाखा ( २९:२५ तक तत्पश्चात अनुराधा )
पक्ष - - कृष्ण
मास - - चैत्र
ऋतु - - बसंत
,
सूर्य - - उत्तरायण
🌞 सूर्योदय - - दिल्ली में प्रातः ६:२७ पर
🌞 सूर्यास्त - - १८:२० पर
🌖 चन्द्रोदय - - २२:५३ पर
🌖 - - चन्द्रास्त - - ८:५५ पर
सृष्टि संवत् - - १,९६,०८,५३,१२२
कलयुगाब्द - - ५१२२
विक्रम संवत् - - २०७८
शक संवत् - - १९४३
दयानंदाब्द - - १९८
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🚩‼️ओ३म्‼️🚩
🔥आज कई लोगों ने अपने आपको धर्मगुरु बनाने के चक्कर में धर्म के नाम पर धंधा शुरू कर दिया है। मंदिरों, मजारों आदि अनेकों जगहों पर ऐसे लोग दिखते हैं जो अपनी लच्छेदार बातों में लोगों को फंसा कर ठगी किया करते हैं। लोगो की आस्था है कि बाबा के द्वारा दुआ देने, काला धागा युक्त ताबीज बांधने व विभिन्न रत्नयुक्त अंगूठी पहनने से फायदा होता है। इनके द्वारा दुआ करने से लोगों के बिगड़े हुए काम बन जाते हैं।
आज सोशल मीडिया व विभिन्न टीवी चैनलों पर ऐसे तांत्रिक यंत्रों के विज्ञापनों का मुख्य उद्देश्य अनैतिक रूप से धनादोहन तथा स्वभाव से अंधविश्वासी व्यक्तियों का भावनात्मक व आर्थिक शोषण करना है।
कितने आश्चर्यजनक की बात है कि ज्यों ज्यों हम विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ते जा रहे हैं, रूढ़ियों व अंधविश्वासों के जाल में भी उसी तेजी से फंसते जा रहे हैं। इन दिनों विभिन्न टीवी चैनलों पर ‘सिद्ध यंत्र’ व ‘सिद्धमाला’, ‘सिद्ध अंगूठी’, ‘धन प्राप्ति यंत्रों’ आदि का व्यापार धड़ल्ले से चलाया जा रहा है। अधिकतर चैनल हनुमान मंत्र, दुर्गा कवच, अभिमंत्रित श्रीयंत्र, अल्लाह ताबीज और जीजस लॉकेट के विज्ञापन प्रसारित करने वाले लोग खुलेआम लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करते नजर आते हैं।
मनोरंजन के नाम पर टीवी पर प्रसारित भूत-प्रेत, जादू-टोना, पुनर्जन्म और नाग-नागिन वाले धारावाहिक भी सामाजिक कुरीतियों और उनकी जड़ताओं को बनाये रखने में सहभागी बनते दिखते हैं। इन दुकानों से नफा कमाने की यह प्रवृत्ति स्वस्थ समाज के लिए खतरे की घंटी है। समझना होगा कि ईश्वर में दृढ़ विश्वास और श्रद्धा रखने वाले लोग आत्मविश्वासी होते हैं, अंधविश्वासी नहीं।
इसलिए जनता के विश्वास का दोहन कर खुलेआम मूर्ख बनाने वाले इन कुटिल मार्गों से बचते हुए खुद में आत्मविश्वास जगाइये और भय मुक्त जीवन का आनन्द लीजिए।
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🕉️🚩 आज का वेद मंत्र 🕉️🚩
🌷 ओ३म् प्रातरग्निं प्रातरिन्द्रं हवामहे प्रातर्मित्रा वरूणा प्रातरर्श्विना। प्रातर्भगं पूषणं ब्रह्मणस्पतिं प्रातस्सोममुत रूद्रं हुवेम ( ऋग्वेद ७|४१|१)
💐 अर्थ :- प्रात: काल की सुन्दर- सुहावनी बेला में स्वप्रकाशस्वरूप, परमैश्वर्य के दाता तथा परमैश्वर्य युक्त, सबसे महान, प्राण - उदान के समान प्रिय और सर्वशक्तिमान सबसे मित्रभाव रखने वाले, वरणीय सूर्य- चन्द्र को उत्पन्न करने वाले सर्वत्र व्यापक उस परमात्म देव की हम स्तुति करते हैं और भजनीय, सेवनीय, ऐश्वर्ययुक्त, पुष्टि करता, अपने उपासक,वेद और ब्रह्माण्ड के पालन करने हारे ।ज्ञान के भण्डार,अन्तर्यामी, प्रेरक, शीतलता तथा शान्ति के भण्डार और पापियों को रूलाने हारे एवं सर्वरोगनाशक जगदीश्वर की हम उपासना करते हैं ।
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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक पञ्चाङ्ग के अनुसार👇
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🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏
(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮
ओं तत्सत्-श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्री श्वेतवाराह कल्वे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द- षण्णवतिकोटि: अष्टक्षानि त्रिपञ्चाशत्सहस्हस्राणि द्वाविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२२ ) सृष्ट्यब्दे】【 अष्टसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७८ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल संवत्सरे रवि उत्तरायणे- वसन्त ऋतौ, चैत्र मासे , कृष्ण पक्षे, पंञ्चम्यां तिथौ, विशाखा नक्षत्रे, - मेष लग्नोदये, वसु मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे
आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ, आत्मकल्याणार्थ, रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे
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