रेलवे एनटीपीसी नान पापुलर टेक्निकल कैटेगरी का रिजल्ट को लेकर गुस्साए छात्रों ने कुछ ट्रेनों को जलाया
हमारे भारत देश में किसी भी परीक्षा को लेकर अभी भी कई खामियां पाई गई हैं, ट्रेनों को आग के हवाले करना बेशक शर्मनाक है, लेकिन छात्रों की शिकायत को सुनने के लिए परीक्षा बोर्ड में कोई तैनात क्यों नहीं होता है क्यों ट्रेनों को आग लगाने के बाद भी सरकार के दिमाग में बात आती है की कार्यवाही करनी है ।
परीक्षा चाहे रेलवे की हो या स्टेट बोर्ड , परीक्षा लेने के बाद बोर्ड रिजल्ट तेरी से देते हैं। जब से ऑनलाइन परीक्षा का चलन हुआ है तब से अनियमितता और बढ़ गई हैं ।
ऑनलाइन परीक्षा में क्या है खामियां -
- ऑनलाइन परीक्षा कब से आरंभ हुई है सेंटरों की किल्लत होने के कारण परीक्षा कई पारियों में कराई जाती है छात्रों को दूर-दूर सेंटर तक जाना होता है
- कई बार सेंटर पहुंचने पर तकनीकी खराबी के कारण छात्र परीक्षा दे नहीं पाते हैं और उसका हर्जाना भी उन्हें नहीं मिलता है
- परीक्षा को कई पारियों में कराया जाता है जिससे कि परीक्षा सब छात्रों के लिए एक जैसे नहीं रह जाती है किसी पेपर का ज्यादा कठिन होना और किसी पेपर का सरल होना संभावनाएं बढ़ जाती हैं ।
- ऑनलाइन परीक्षा कराने का मतलब है कि तुरंत रिजल्ट की घोषणा की जा सके लेकिन ऐसा पता नहीं क्यों सरकारें ऐसा करने में सक्षम नहीं हो पा रही हैं कि रिजल्ट में इतना टाइम लगाया जाता है ।
- जब रिजल्ट में इतना टाइम लगाया जाता है इसके बाद भी गड़बड़ी पाई जाती है और छात्रों की शिकायत सुनने के लिए वोट तैयार नहीं होता है तो मजबूरन छात्र को रोडवेज करना पड़ता है।
- थोड़ा भी तकनीक का ज्ञान रखने वाला व्यक्ति कितना तो समझ ही सकता है कि जब ऑनलाइन परीक्षा कराई जा रही है तो सभी कैटेगरी को कैटेगरी वाइज रिजल्ट पोस्ट के संख्या के आधार पर तुरंत दिया जा सकता है तुरंत रिजल्ट ना देना यह दर्शाता है कि किसी न किसी कारण से जानबूझकर परीक्षा के रिजल्ट में देरी करना चाहते हैं।
- कोरोना काल के बाद कई बार देखा गया है कि जो परीक्षाएं एक बार ली जा चुकी हैं उन्हें फिर से फार्म भरा कर परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं या किसी कारण बस उन्हें निरस्त करके उस पर काम बढ़ाए जा रहे हैं इससे साफ जाहिर होता है कि बोर्ड और सरकार जनता से बेरोजगार जनता से पैसा इकट्ठा करना चाहती हैं।
खैर आजादी के समय से अभी तक छात्रों के हित में एक अच्छा काम नहीं हुआ है छात्रों को उग्र आंदोलन के बिना न्याय नहीं मिलता है यह मैं देखता आ रहा हूं और बढ़ता रहा हूं ।
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