30 March 2020

लॉक डाउन का दर्द : पापा कितनी दूर चलेंगे कब तक यू मजबूर चलेगे रखवाला के राह में बेंत घलेंगे कितना

पापा कितनी दूर चलेंगे कब तक यू मजबूर चलेगे रखवाला के राह में बेंत घलेंगे कितना दूर चलकर पहुचेंगे गिरेंगे संभलेंगे पर बोलो कब तक भूखे पेट चलेंगे कहते थे है माँ को है बीमारी वह भी लादे बोझ है भारी आश तोड़ न भाग बिहारी मदद मिलेगी अब सरकारी भले कल्पना लगती भारी पर ये होगा अबकी बारी हुआ रोग तो सभी मरेंगे यही सोच सब सभी करेंगे पर अंधकार जब छाता है कोई मार्ग नजर न आता है जो सूझा बेटा वही किया गलत पता न सही किया आये परदेशी के बस्ते कूली ही ढोते आये है ऊपर से गिरते मलवे से सर अपने ही फटते आये है मरना तो अब तय ही है बस जन्मभूमि की माया है जब तक तन में प्राण रहेगे पग मेरे अभिराम चलेंगे पापा कितनी दूर चलेंगे कब तक ऐसे मजबूर चलेंगे